अभिभावकों को सलाह
अभिभावकों से विद्यालय अधिकारियों के साथ नियम तथा
अनुशासन का पालन के लिए सहयोग की आशा की जाती है कि वे इस
दिशा में विद्यालय के कार्यों में अपनी रूचि प्रकट करके व सहायता
करके सहयोग दे सकते हैं। उनके बच्चे अपना अध्ययन सुचारू रूप से
करते हैं यह भी देखकर वे विद्यालय के साथ सहयोग करें।
अभिभावकों को चाहिए कि वे यह देखें कि उनके बच्चे रात में
जल्दी सोयें और प्रातः काल जल्दी उठें। नित्य नियमित रूप से खेलकूद
में भाग ले और यथा संभव कोई मनोरंजन व व्यायाम करें और उनका
संग- साथ अच्छा हो। उन्हें बच्चों को घर पर पढ़ने- लिखने का कुछ
काम अवश्य देना चाहिए।
अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों के पढ़ने- लिखने के
लिए यथा सम्भव शान्त स्थान की व्यवस्था करें। पाठ्य पुस्तकों के
अतिरिक्त अन्य उत्तम व सुरूचिपूर्ण पुस्तकें पढ़ने को दें तथा उनकी
किसी हॉबी की ओर रूचि बढ़ायें। छात्र- छात्राओं को विद्यालय के सभी
क्रिया- कलापों (पाठ्य सहगामी क्रियाओं) में भाग लेना अनिवार्य है।
विद्यालय के काम के समय कोई भी माता- पिता/ अभिभावक
या अन्य व्यक्ति किसी भी विद्यार्थी, अध्यापक से भेंट नहीं कर सकते
और न ही कक्षा में जा सकते हैं। इसके लिए प्रधानाचार्य की अनुमति
आवश्यक है। विद्यार्थी का निवास स्थान के परिवर्तन पर पता- बदलने
पर विद्यालय में सूचना अवश्य भेंजें।
अनुपस्थिति
माता-पिता अथवा अभिभावक द्वारा लिखित प्रार्थना- पत्र छुट्टी लेने के पहले ही प्रधानाचार्य के पास आ जाना चाहिए। अन्यथा छुट्टी नहीं मिल सकती है।
छुट्टी के लिए प्रार्थना- पत्र भेजते समय विद्यार्थियों का नाम और कक्षा साफ- साफ लिखना चाहिए। प्रत्येक विद्यार्थी के लिए पृथक-प्रार्थना- पत्र आना चाहिए चाहे वे सगे भाई ही क्यों न हो और एक ही कक्षा में क्यों न पढ़ते हों। प्रार्थना पत्र पर केवल माता- पिता अथवा सरंक्षक के ही हस्ताक्षर होने चाहिए। बिना प्रार्थना-पत्र भेजे तथा बिना पहले से ही छुट्टी स्वीकार कराए अनुपस्थित रहने पर विद्यार्थी को अभिभावक से अनुपस्थिति का कारण लिखा कर लाना चाहिए। छूत व संक्रामक रोग से अच्छे हो जाने पर डाक्टर का प्रमाण- पत्र लाना चाहिए कि रोग से सर्वथा मुक्त है अन्यथा कक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जायेगी और इस अनुपस्थिति के लिए विद्यालय उत्तरदायी नहीं होगा।
लगातार दस दिन बिना सूचना के अनुपस्थिति होने पर विद्यार्थी का नाम काट दिया जायेगा।